Monday 5 April 2021

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Monday 12 November 2018

नहीं जानते होंगे, छठ पर्व की शुरुआत आखिर कैसे हुई?

आज कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि है। यह दिन भगवान सूर्य को समर्पित है। बिहार और पूर्वांचल के निवासी इस दिन जहां भी होते हैं सूर्य भगवान की पूजा करना और उन्हें अर्घ्य देना नहीं भूलते।

यही कारण है कि आज यह पर्व बिहार और पूर्वांचल की सीमा से निकलकर देश विदेश में मनाया जाने लगा है। चार दिनों तक चलने वाला यह पर्व बड़ा ही कठिन है।

इसमें शरीर और मन को पूरी तरह साधना पड़ता है इसलिए इसे पर्व को हठयोग भी माना जाता है। इस कठिन पर्व की शुरुआत कैसे हुई और किसने इस पर्व को शुरु किया इस विषय में अलग-अलग मान्यताएं हैं।

भगवान राम और सीता ने किया सबसे पहले छठ?


भगवान राम सूर्यवंशी थे और इनके कुल देवता सूर्य देव थे। इसलिए भगवान राम और सीता जब लंका से रावण वध करके अयोध्या वापस लौटे तो अपने कुलदेवता का आशीर्वाद पाने के लिए इन्होंने देवी सीता के साथ षष्ठी तिथि का व्रत रखा और सरयू नदी में डूबते सूर्य को फल, मिष्टान एवं अन्य वस्तुओं से अर्घ्य प्रदान किया।

सप्तमी तिथि को भगवान राम ने उगते सूर्य को अर्घ्य देकर सूर्य देव का आशीर्वाद प्राप्त किया। इसके बाद राजकाज संभालना शुरु किया। इसके बाद से आम जन भी सूर्यषष्ठी का पर्व मनाने लगे।

महाभारत के इस योद्घा ने शुरु किया था छठ

महाभारत का एक प्रमुख पात्र है कर्ण जिसे दुर्योधन ने अपना मित्र बनाकर अंग देश यानी आज का भागलपुर का राजा बना दिया। भागलपुर बिहार में स्थित है।

अंग राज कर्ण के विषय में कथा है कि, यह पाण्डवों की माता कुंती और सूर्य देव की संतान है। कर्ण अपना आराध्य देव सूर्य देव को मानता था। यह नियम पूर्वक कमर तक पानी में जाकर सूर्य देव की आराधना करता था और उस समय जरुरतमंदों को दान भी देता था। माना जाता है कि कार्तिक शुक्ल षष्ठी और सप्तमी के दिन कर्ण सूर्य देव की विशेष पूजा किया करता था।

अपने राजा की सूर्य भक्ति से प्रभावित होकर अंग देश के निवासी सूर्य देव की पूजा करने लगे। धीरे-धीरे सूर्य पूजा का विस्तार पूरे बिहार और पूर्वांचल क्षेत्र तक हो गया।

Friday 26 October 2018

करवा चौथ के मौके पर कुछ सावधानियां.........


करवा चौथ के मौके पर कुछ सावधानियां भी आपको कुछ बरतनी होगी, अन्यथा कुछ अपशगुन हो सकता है…
 करवा चौथ पर बन रहे इन शुभ योग में भूलकर भी काला या सफेद रंग के कपड़े नहीं पहनना चाहिए। क्योंकि ये रंग अशुभता के प्रतिक हैं और ये रंग ओजस्विता कम करता है।
 महिलाएं अपने मन को शांत रखकर ही करवा चौथ का व्रत की शुरुआत करें। इस दिन घर में शांति और सद्भाव बनाए रखने से माता लक्ष्मी भी प्रसन्न होती हैं। इस दिन वाद-विवाद और कलह से दूर रहना चाहिए। किसी सुहागन को बुरा भला कहने की गलती ना करें।
 महिलाएं सुहाग सामग्री जैसे चूड़ी, बिंदी, सिंदूर आदि इन चीजों को दान करें। भूलकर भी इन चीजों को कचड़े में नहीं फेकें। इस दिन पूर्ण श्रृंगार और पूर्ण भोजन जरूर करना चाहिए।
 सुहागन महिलाएं इस दिन किसी को भी दूध, दही चावल कोई भी सफेद चीज का दान नहीं करना चाहिए। सफेद का संबंध चंद्रमा से है। माना जाता है कि सफेद चीज के दान से चंद्रमा नाराज हो जाता है और अशुभ फल देते हैं।
 इस दिन मां गौरी को हलवा-पूरी का भोग जरूर लगाएं और उस प्रसाद को अपनी सास या फिर घर में अन्य कोई बुजुर्ग महिला को जरूर दें। अगर कोई नहीं है तो मंदिर में दान कर दें।
 करवा चौथ के दिन सिलाई, कटाई, बुनाई का काम नहीं करना चाहिए, साथ ही सूई, चाकू जैसी चीजों से दूर रहना चाहिए। साथ ही अगर कोई व्यक्ति रूठा हुआ है तो उसको मनाने ना जाएं।
 व्रत करने वाली महिलाएं इस बात का ध्यान रखें कि किसी भी सोते हुए व्यक्ति को ना उठाएं। साथ ही इस दिन कुछ महिलाएं समय व्यतीत करने के लिए जुआ भी खेलती हैं। ऐसा भूलकर भी ना करें।

करवा चौथ करने विधी


  • करवा चौथ का व्रत 27 अक्‍टूबर को है
  • इस दिन महिलाएं दिन भर निर्जला व्रत रखती हैं
  • मान्‍यता है कि इस व्रत के प्रभाव से पति की उम्र लंबी होती है
करवा चौथ की तिथि और शुभ मुहूर्त (Karva Chauth Date and Time)
चतुर्थी तिथि प्रारंभ: 27 अक्‍टूबर की शाम 06 बजकर 37 मिनट
चतुर्थी तिथ‍ि समाप्‍त: 28 अक्‍टूबर की शाम 04 बजकर 54 मिनट
पूजा का शुभ मुहूर्त: 27 अक्‍टूबर की शाम 05 बजकर 48 मिनट से शाम 07 बजकर 04 मिनट तक. 
कुल अवधि: 1 घंटे 16 मिनट. 

कैसे मनाते हैं करवा चौथ का त्‍योहार? (Karva Chauth Festivities)
करवा चौथ की तैयारियां कई दिन पहले से शुरू हो जाती हैं. सुहागिन महिलाएं कपड़े, गहने, श्रृगार का सामान और पूजा सामग्री खरीदती हैं. करवा चौथ वाले दिन महिलाएं सूर्योदय से पहले सरगी खाती हैं. इसके बाद सुबह हाथ और पैरों पर मेहंदी लगाई जाती है और पूजा की थालियों को सजाया जाता है. व्रत करने वाली आस-पड़ोस की महिलाएं शाम ढलने से पहले किसी मंदिर, घर या बगीचे में इकट्ठा होती हैं. यहां सभी महिलाएं एक साथ करवा चौथ की पूजा करती हैं. इस दौरान गोबर और पीली मिट्टी से पार्वती जी की प्रतिमा स्‍थापित की जाती है. आज कल माता गौरी की पहले से तैयार प्रतिमा को भी रख दिया जाता है. विधि-विधान से पूजा करने के बाद सभी महिलाएं किसी बुजुर्ग महिला से करवा चौथ की कथा सुनती हैं. इस दौरान सभी महिलाएं लाल जोड़े में पूरे सोलह श्रृंगार के साथ पूजा करती हैं. चंद्रमा के उदय पर अर्घ्‍य दिया जाता है और पति की आरती उतारी जाती है. पति के हाथों पानी पीकर महिलाओं के उपवास का समापन हो जाता है. 

करवा चौथ की पूजन सामग्री  
करवा चौथ के व्रत से एक-दो दिन पहले ही सारी पूजन सामग्री को इकट्ठा करके घर के मंदिर में रख दें. पूजन सामग्री इस प्रकार है- मिट्टी का टोंटीदार करवा व ढक्‍कन, पानी का लोटा, गंगाजल, दीपक, रूई, अगरबत्ती, चंदन, कुमकुम, रोली, अक्षत, फूल, कच्‍चा दूध, दही, देसी घी, शहद, चीनी,  हल्‍दी, चावल, मिठाई, चीनी का बूरा, मेहंदी, महावर, सिंदूर, कंघा, बिंदी, चुनरी, चूड़ी, बिछुआ, गौरी बनाने के लिए पीली मिट्टी, लकड़ी का आसन, छलनी, आठ पूरियों की अठावरी, हलुआ और दक्षिणा के पैसे.

करवा चौथ की पूजा विधि? (Karva Chauth Puja)
-
 करवा चौथ वाले दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्‍नान कर लें. 
- अब इस मंत्र का उच्‍चारण करते हुए व्रत का संकल्‍प लें- ''मम सुखसौभाग्य पुत्रपौत्रादि सुस्थिर श्री प्राप्तये करक चतुर्थी व्रतमहं करिष्ये''. 
- सूर्यादय से पहले सरगी ग्रहण करें और फिर दिन भर निर्जला व्रत रखें. 
- दीवार पर गेरू से फलक बनाएं और भ‍िगे हुए चावलों को पीसकर घोल तैयार कर लें. इस घोल से फलक पर करवा का चित्र बनाएं. वैसे बाजार में आजकर रेडीमेड फोटो भी मिल जाती हैं. इन्‍हें वर कहा जाता है. चित्रित करने की कला को करवा धरना का जाता है.
- आठ पूरियों की अठावरी बनाएं. मीठे में हल्‍वा या खीर बनाएं और पकवान भी तैयार करें.
-  अब पीली मिट्टी और गोबर की मदद से माता पार्वती की प्रतिमा बनाएं. अब इस प्रतिमा को लकड़ी के आसान पर बिठाकर मेहंदी, महावर, सिंदूर, कंघा, बिंदी, चुनरी, चूड़ी और बिछुआ अर्पित करें. 
- जल से भर हुआ लोट रखें. 
- करवा में गेहूं और ढक्‍कन में शक्‍कर का बूरा भर दें. 
- रोली से करवा पर स्‍वास्तिक बनाएं. 
- अब गौरी-गणेश और चित्रित करवा की पूजा करें. 
- पति की लंबी उम्र की प्रार्थना करते हुए इस मंत्र का उच्‍चारण करें- ''ऊॅ नम: शिवायै शर्वाण्यै सौभाग्यं संतति शुभाम। प्रयच्छ भक्तियुक्तानां नारीणां हरवल्लभे॥''
- करवा पर 13 बिंदी रखें और गेहूं या चावल के 13 दाने हाथ में लेकर करवा चौथ की कथा कहें या सुनें.
- कथा सुनने के बाद करवा पर हाथ घुमाकर अपने सभी बड़ों का आशीर्वाद लें और करवा उन्हें दे दें.
- पानी का लोटा और 13 दाने गेहूं के अलग रख लें.
- चंद्रमा के निकलने के बाद छलनी की ओट से पति को देखें और चन्द्रमा को अर्घ्‍य दें
- चंद्रमा को अर्घ्‍य देते वक्‍त पति की लंबी उम्र और जिंदगी भर आपका साथ बना रहे इसकी कामना करें.
- अब पति को प्रणाम कर उनसे आशीर्वाद लें और उनके हाथ से जल पीएं. अब पति के साथ बैठकर भोजन करें.

करवा चौथ में सरगी (Karva Chauth Sargi)
करवा चौथ के दिन सरगी का भी विशेष महत्‍व है. इस दिन व्रत करने वाली महिलाएं और लड़कियां सूर्योदय से पहले उठकर स्‍नान करने के बाद सरगी खाती हैं. सरगी आमतौर पर सास तैयार करती है. सरगी में सूखे मेवे, नारियल, फल और मिठाई खाई जाती है. अगर सास नहीं है तो घर का कोई बड़ा भी अपनी बहू के लिए सरगी बना सकता है. जो लड़कियां शादी से पहले करवा चौथ का व्रत रख रही हैं उसके ससुराल वाले एक शाम पहले उसे सरगी दे आते हैं. सरगी सुबह सूरज उगने से पहले खाई जाती है ताकि दिन भर ऊर्जा बनी रहे.

करवा चौथ की कथा (Karva Chauth Katha)
पौराणिक मान्‍यताओं के अनुसार एक साहूकार के सात लड़के और एक लड़की थी. सेठानी समेत उसकी बहुओं और बेटी ने करवा चौथ का व्रत रखा था. रात्रि को साहूकार के लड़के भोजन करने लगे तो उन्होंने अपनी बहन से भोजन के लिए कहा. इस पर बहन ने जवाब दिया- "भाई! अभी चांद नहीं निकला है, उसके निकलने पर अर्घ्‍य देकर भोजन करूंगी." बहन की बात सुनकर भाइयों ने क्या काम किया कि नगर से बाहर जा कर अग्नि जला दी और छलनी ले जाकर उसमें से प्रकाश दिखाते हुए उन्‍होंने बहन से कहा- "बहन! चांद निकल आया है. अर्घ्‍य देकर भोजन कर लो." 

यह सुनकर उसने अपने भाभियों से कहा, "आओ तुम भी चन्द्रमा को अर्घ्‍य दे लो." परन्तु वे इस कांड को जानती थीं, उन्होंने कहा- "बाई जी! अभी चांद नहीं निकला है, तेरे भाई तेरे से धोखा करते हुए अग्नि का प्रकाश छलनी से दिखा रहे हैं." भाभियों की बात सुनकर भी उसने कुछ ध्यान न दिया और भाइयों द्वारा दिखाए गए प्रकाश को ही अर्घ्‍य देकर भोजन कर लिया. इस प्रकार व्रत भंग करने से गणेश जी उस पर अप्रस्सन हो गए. इसके बाद उसका पति सख्त बीमार हो गया और जो कुछ घर में था उसकी बीमारी में लग गया. 

जब उसने अपने किए हुए दोषों का पता लगा तो उसने पश्चाताप किया गणेश जी की प्राथना करते हुए विधि विधान से पुनः चतुर्थी का व्रत करना आरम्भ कर दिया. श्रद्धानुसार सबका आदर करते हुए सबसे आशीर्वाद ग्रहण करने में ही मन को लगा दिया. इस प्रकार उसकी श्रद्धा भक्ति सहित कर्म को देखकर भगवान गणेश उस पर प्रसन्न हो गए और उसके पति को जीवन दान दे कर उसे आरोग्य करने के पश्चात धन-संपत्ति से युक्त कर दिया. इस प्रकार जो कोई छल-कपट को त्याग कर श्रद्धा-भक्ति से चतुर्थी का व्रत करेंगे उन्‍हें सभी प्रकार का सुख मिलेगा.

करवा चौथ कैसे मनायी जाती है

Karwa Chauth 2018, Karva Chauth : करवाचौथ सुहागिनों का त्‍योहार और कुछ रंग खासतौर पर सुहाग की निशानी से जुड़े हुए हैं। ऐसे में इन रंगों के आधार पर ही परिधानों का चयन करने की सलाह दी जाती है।

करवाचौथ का इंतजार हर व‍िवाह‍ित मह‍िला को पूरे साल रहता है। इस द‍िन महिलाएं पूरा श्रृंगार कर पति की लंबी उम्र की कामना के साथ व्रत रखती हैं। 2018 में 27 अक्‍टूबर को करवाचौथ का त्‍योहार मनाया जा रहा है। इस द‍िन चांद के दर्शन कर मह‍िलाएं पति के हाथ से पानी और न‍िवाला ग्रहण कर अपना व्रत पूर्ण करती हैं। हालांकि करवाचौथ के व्रत के कुछ नियम भी हैं और इस दौरान महिलाओं के लिए परिधानों के रंग भी इससे जुड़े हैं। 
करवा चौथ का व्रत अब कई मह‍िलाएं व कन्‍याएं करने लगी हैं। ऐसे में इसके न‍ियमों को ज्ञात करना आवश्‍यक है। ऐसा न हो क‍ि आप एक ओर व्रत करें और दूसरी ओर कोई भूल इस व्रत का सारा पुण्‍य भी खत्‍म कर दे। ये व्रत सुहाग से जुड़ा है, लिहाजा इससे जुड़ी चूकों पर ध्‍यान देना आवश्‍यक है। इन बातों को जानें ज्‍योतिषाचार्य सुजीत जी महाराज से। 
करवा चौथ पर सुहागनें ना करें ये काम
  • इस दिन महिलाएं काले वस्त्र का प्रयोग मत करें। एकदम सफेद साड़ी भी नहीं पहननी चाहिए। काला रंग सुहागिन महिलाओं के लिए अशुभ फलदायी है। सफेद साड़ी भी शुभ पर्व पर सुहागिन स्त्रियां नहीं पहनती हैं। 
  • इस दिन कैंची का प्रयोग मत करें। कपड़े मत काटें। अक्सर महिलाएं कपड़े काटने में कैंची का प्रयोग करती हैं। इस दिन भूलकर भी कैंची का प्रयोग ही मत करें बल्कि उसे कहीं छुपा दें ताकि वो दिखे भी नहीं।
  • सिलाई-कढ़ाई भी मत करें। व्रत के दौरान खाली समय को व्यतीत करने के लिए व्रत के दिन अक्सर महिलाएं सिलाई कढ़ाई या स्वेटर बुनने का काम करती हैं। आज के दिन ये से सभी कार्य प्रतिबंधित है।
  • इस दिन समय बिताने के लिए ताश के पत्ते मत खेलें। जुआ तो कदापि मत खेलें। अपने समय को संगीत और भजन में बिताएं।
  • किसी की निंदा मत करें। किसी की चुगली या बुराई करने से व्रत का फल नहीं मिलता।
  • दूध, दही, चावल या उजला वस्त्र दान मत करें।
  • अपने से बड़ों का निरादर मत करें।
  • पति के अलावा किसी का चिंतन किसी भी स्थिति में मत करें।
  • सुहाग की वस्तुएं कचड़े में मत फेंके।
  • श्रृंगार करते समय जो चूड़ियां टूट जाये उनको बहते जल में प्रवाहित करें न कि घर में रखें।
  • इस दिन धूम्रपान मत करें। किसी भी प्रकार का किया गया नशा व्रत के पुण्य का नाश कर देगा।
  • तामसिक भोजन मत करें।
  • पति से प्यार से बाते करें। कोई विवाद मत करें। यदि कोई विवाहित महिला सभी नियमों के पालन से निराजल व्रत भी रहती है और पति को डांटती या अपमान करती है तो उसका सारा व्रत बेकार हो जाता है।
करवा चौथ के त्‍योहार का हमारे देश की महिलाओं के बीच विशेष महत्व है। इस दिन पति की लंबी उम्र के लिए व्रत रखती हैं और शाम को महिलाएं सज संवरकर व्रत खोलने के बाद अन्‍न जल ग्रहण करती हैं। देश के कृषि प्रधान हिस्‍से जैसे राजस्‍थान, पंजाब, पश्चिमी उत्‍तर प्रदेश में यह त्‍योहार विशेष धूमधाम के साथ मनाया जाता है।
विवाहित महिलाएं और विवाह योग्‍य कुंवारी लड़कियां और अपने पति और मंगेतर के लिए व्रत रखती हैं। इस बार करवा चौथ 27 अक्‍टूबर को है। आइए जानते हैं इसका महत्‍व और कैसे हुई इसकी शुरुआत…
महाभारत काल से है संबंध 
करवा चौथ की सबसे पहले शुरुआत प्राचीन काल में सावित्री की पतिव्रता धर्म से हुई। सावित्री ने अपने पति मृत्‍यु हो जाने पर भी यमराज को उन्‍हें अपने साथ नहीं ले जाने दिया और अपनी दृढ़ प्रतिज्ञा से पति को फिर से प्राप्‍त किया। दूसरी कहानी पांडवों की पत्‍नी द्रौपदी की है। वनवास काल में अर्जुन तपस्‍या करने नीलगिरि के पर्वत पर चले गए थे। द्रौपदी ने अुर्जन की जान बचाने के लिए अपने भाई भगवान कृष्‍ण से मदद मांगी। उन्‍होंने पति की रक्षा के लिए द्रौपदी से वैसा ही उपवास रखने को कहा जैसा माता पार्वती ने भगवान शिव की रक्षा के लिए रखा था। द्रौपदी ने ऐसा ही किया और कुछ ही समय के पश्‍चात अर्जुन वापस सुरक्षित लौट आए।
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आज करवा चौथ है

करवा चौथ जिसे संकष्टी श्री गणेश चतुर्थी भी कहा जाता है। 'करवा चौथ' जिसका सभी विवाहित स्त्रियां साल भर इंतजार करती हैं और इसकी सभी विधियों को बड़े श्रद्धा-भाव से पूरा करती हैं। करवाचौथ का त्योहार पति-पत्नी के मजबूत रिश्ते, प्यार और विश्वास का प्रतीक है। कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को करवा चौथ का व्रत किया जाता है। कार्तिक मास की चतुर्थी जिस रात रहती है उसी दिन करवा चौथ का व्रत किया जाता है। इस साल यह व्रत 27 अक्टूबर को किया जाएगा।
ज्योतिर्विद पं दिवाकर त्रिपाठी पूर्वांचली के अनुसार पूजा मुहूर्त- सायंकाल 6:35- रात 8:00 तक पूजन करे परंतु अर्घ्य 8 बजे के बाद
 चंद्रोदय- सायंकाल 7:38 बजे के बाद
चतुर्थी तिथि आरंभ- 27 अक्टूबर को रात में 07:38 बजे

करवा चौथ कैसे मनाया जाता है
 महिलाएं सुबह सूर्योदय से पहले उठकर सर्गी खाती हैं। यह खाना आमतौर पर उनकी सास बनाती हैं। इसे खाने के बाद महिलाएं पूरे दिन भूखी-प्यासी रहती हैं। दिन में शिव,पार्वती और कार्तिक की पूजा की जाती है। शाम को देवी की पूजा होती है, जिसमें पति की लंबी उम्र की कामना की जाती है। चंद्रमा दिखने पर महिलाएं छलनी से पति और चंद्रमा की छवि देखती हैं। पति इसके बाद पत्नी को पानी पिलाकर व्रत तुड़वाता है।
करवा चौथ व्रत विधान
उत्थान ज्योतिष संस्थान के निदेशक ज्योतिर्विद पं दिवाकर त्रिपाठी पूर्वांचली ने बताया कि व्रत रखने वाली स्त्री सुबह नित्यकर्मों से निवृत्त होकर, स्नान और संध्या की आरती करके, आचमन के बाद संकल्प लेकर यह कहें कि मैं अपने सौभाग्य एंव पुत्र-पौत्रादि तथा अखंड सौभाग्य की ,अक्षय संपत्ति की प्राप्ति के लिए करवा चौथ का व्रत करूंगी। यह व्रत निराहार ही नहीं अपितु निर्जला के रूप में करना अधिक फलप्रद माना जाता है। इस व्रत में शिव-पार्वती, कार्तिकेय और गौरा का पूजन करने का विधान है।
करवा चौथ व्रत पूजन: 
चंद्रमा, शिव, पार्वती, स्वामी कार्तिकेय और गौरा की मूर्तियों की पूजा षोडशोपचार विधि से विधिवत करके एक तांबे या मिट्टी के पात्र में चावल, उड़द की दाल, सुहाग की सामग्री, जैसे- सिंदूर, चूडियां, शीशा, कंघी, रिबन और रुपया रखकर उम्र में किसी बड़ी सुहागिन महिला या अपनी सास के पांव छूकर उन्हें भेंट करनी चाहिए। सायं बेला पर पुरोहित से कथा सुनें, दान-दक्षिणा दें। तत्पश्चात रात्रि में जब पूर्ण चंद्रोदय हो जाए तब चंद्रमा को छलनी से देखकर अर्घ्य दें। आरती उतारें और अपने पति का दर्शन करते हुए पूजा करें। इससे पति की उम्र लंबी होती है।उसके बाद पति के हाथ से पानी पीकर व्रत खोलें।

 करवा चौथ का त्योहार पति-पत्नी के प्यार, सम्मान और एक-दूसरे के प्रति त्याग का त्योहार है. इस दिन महिलाएं अपने पतियों के लिए व्रत रखती हैं, वहीं आजकल कुछ पुरुष भी अपनी जीवन संगिनी के साथ भूखे-प्यासे रहते हैं. दोनों रात चांद को देखकर अपना-अपना व्रत खोलकर खाना खाते हैं. इस दिन को और खास बनाने के लिए वो एक-दूसरे को तोहफे देते हैं और पूरे दिन फेसबुक और वाह्ट्सऐप (Facebook & WhatsApp) पर मैसेज या स्टेटस के जरिए अपने साथी को स्पेशल महसूस करवाते हैं. ऐसा करके एक-दूसरे के प्रति प्यार और भी बढ़ता जाता है. बता दें, इस बार करवा चौथ 27 अक्टूबर (Saturday, 27 October, Karva Chauth 2018 in India) को मनाया जा रहा है.

जब तक ना देखें चेहरा आपका
ना सफल हो ये त्योहार हमारा
आपके बिना क्या है ये जीवन हमारा
जल्दी आओ और दिखाओ अपनी सूरत
और कर दो करवा चौथ सफल हमारा
Happy Karva Chauth

करवा चौथ का ये त्योहार,
आये और लाये खुशियां हज़ार
यही है दुआ हमारी
आप हर बार मनाये ये त्योहार
Happy Karva Chauth

 
करवा चौथ का पावन व्रत आपके लिये मैंने किया है
क्योंकि आपके ही प्रेम और सम्मान ने
जीवन को नया रंग दिया है
Happy Karva Chauth

चांद की रोशनी ये पैगाम है लाई
आपके लिए मन में खुशियां है छाई
सबसे पहले आपको हमारे तरफ से 
करवा चौथ की ढेर सारी बधाई
Happy Karva Chauth

 
करवा चौथ तो बहाना है
असली मकसद तो पति को याद दिलाना है
कि कोई उनके इंतजार में दरवाजे पर टकटकी लगाए रहती है
उनके इंतज़ार में सदा आंखें बिछाए रहती है
Happy Karva Chauth

मेहंदी का लाल रंग आप के प्यार की गहराई दिखाता है
माथे पर लगाया हुआ सिंदूर आपकी दुआएं दिखाता है
गले में पहना हुआ मंगलसूत्र हमारा मजबूत रिश्ता दिखाता है
Happy Karva Chauth

 
हर जनम का साथ मिले 
ऐसा ही जीवन मुझे हर बार मिले 
ना हो और कोई ख्वाहिश मेरी
करूं तुमको जब भी याद
तुम हमेशा मेरे पास मिले
Happy Karva Chauth


पूरा दिन रखना है आज उपवास 
पति जल्दी घर आये यही है आस 
पति के हाथों जल पीकर
पूरा होगा अपना करवा चौथ का उपवास
सो आज मत करना हमें निराश
Happy Karva Chauth

करवाचौथ व्रत के नियम
 करवाचौथ व्रत शुरू करने से पहले सरगी खाने का है नियम । सरगी खाते समय दक्षिण पूर्व दिशा की ओर मुंह करके बैठना चाहिए।
 व्रत की कथा सुनने के बाद अपने पति के पास जाएं। इस दिन किसी पर क्रोध ना करें।
 व्रत रखने वाली महिलाएं इस दिन काले और सफेद रंग के कपड़ पहनने से बचे। संभव हो तो इस दिन लाल, पीले या फिर हरे रंग के कपड़े पहनें।
 अगर बेटी विवाहित है तो चौथ माता की पूजा शुरू होने से पहले बेटी के घर पर बयाना जरूर भेजें। बयाना में सुहाग सामग्री भी देना चाहिए
 चांद देखने के बाद मां गौरी की पूजा करें और उन्हें पूरी-हलवा के प्रसाद का भोग लगाएं।
ऐसे करें करवाचौथ व्रत का समापन
करवाचौथ के दिन पूड़ी-सब्जी, खीर, फल और मिठाई से भगवान को भोग लगाएं और पति की दीर्घायु के साथ परिवार में सुख-शांति बनी रहे इसके लिए कामना करें। बाद में इस भोजन को सास या घर में किसी बड़ी महिला को दे दें। अगर ऐसा संभव नहीं है तो मंदिर में इस भोजन को दान कर दें या फिर किसी जरूरतमंद को दें।

 

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