Friday 26 October 2018

करवा चौथ कैसे मनायी जाती है

Karwa Chauth 2018, Karva Chauth : करवाचौथ सुहागिनों का त्‍योहार और कुछ रंग खासतौर पर सुहाग की निशानी से जुड़े हुए हैं। ऐसे में इन रंगों के आधार पर ही परिधानों का चयन करने की सलाह दी जाती है।

करवाचौथ का इंतजार हर व‍िवाह‍ित मह‍िला को पूरे साल रहता है। इस द‍िन महिलाएं पूरा श्रृंगार कर पति की लंबी उम्र की कामना के साथ व्रत रखती हैं। 2018 में 27 अक्‍टूबर को करवाचौथ का त्‍योहार मनाया जा रहा है। इस द‍िन चांद के दर्शन कर मह‍िलाएं पति के हाथ से पानी और न‍िवाला ग्रहण कर अपना व्रत पूर्ण करती हैं। हालांकि करवाचौथ के व्रत के कुछ नियम भी हैं और इस दौरान महिलाओं के लिए परिधानों के रंग भी इससे जुड़े हैं। 
करवा चौथ का व्रत अब कई मह‍िलाएं व कन्‍याएं करने लगी हैं। ऐसे में इसके न‍ियमों को ज्ञात करना आवश्‍यक है। ऐसा न हो क‍ि आप एक ओर व्रत करें और दूसरी ओर कोई भूल इस व्रत का सारा पुण्‍य भी खत्‍म कर दे। ये व्रत सुहाग से जुड़ा है, लिहाजा इससे जुड़ी चूकों पर ध्‍यान देना आवश्‍यक है। इन बातों को जानें ज्‍योतिषाचार्य सुजीत जी महाराज से। 
करवा चौथ पर सुहागनें ना करें ये काम
  • इस दिन महिलाएं काले वस्त्र का प्रयोग मत करें। एकदम सफेद साड़ी भी नहीं पहननी चाहिए। काला रंग सुहागिन महिलाओं के लिए अशुभ फलदायी है। सफेद साड़ी भी शुभ पर्व पर सुहागिन स्त्रियां नहीं पहनती हैं। 
  • इस दिन कैंची का प्रयोग मत करें। कपड़े मत काटें। अक्सर महिलाएं कपड़े काटने में कैंची का प्रयोग करती हैं। इस दिन भूलकर भी कैंची का प्रयोग ही मत करें बल्कि उसे कहीं छुपा दें ताकि वो दिखे भी नहीं।
  • सिलाई-कढ़ाई भी मत करें। व्रत के दौरान खाली समय को व्यतीत करने के लिए व्रत के दिन अक्सर महिलाएं सिलाई कढ़ाई या स्वेटर बुनने का काम करती हैं। आज के दिन ये से सभी कार्य प्रतिबंधित है।
  • इस दिन समय बिताने के लिए ताश के पत्ते मत खेलें। जुआ तो कदापि मत खेलें। अपने समय को संगीत और भजन में बिताएं।
  • किसी की निंदा मत करें। किसी की चुगली या बुराई करने से व्रत का फल नहीं मिलता।
  • दूध, दही, चावल या उजला वस्त्र दान मत करें।
  • अपने से बड़ों का निरादर मत करें।
  • पति के अलावा किसी का चिंतन किसी भी स्थिति में मत करें।
  • सुहाग की वस्तुएं कचड़े में मत फेंके।
  • श्रृंगार करते समय जो चूड़ियां टूट जाये उनको बहते जल में प्रवाहित करें न कि घर में रखें।
  • इस दिन धूम्रपान मत करें। किसी भी प्रकार का किया गया नशा व्रत के पुण्य का नाश कर देगा।
  • तामसिक भोजन मत करें।
  • पति से प्यार से बाते करें। कोई विवाद मत करें। यदि कोई विवाहित महिला सभी नियमों के पालन से निराजल व्रत भी रहती है और पति को डांटती या अपमान करती है तो उसका सारा व्रत बेकार हो जाता है।
करवा चौथ के त्‍योहार का हमारे देश की महिलाओं के बीच विशेष महत्व है। इस दिन पति की लंबी उम्र के लिए व्रत रखती हैं और शाम को महिलाएं सज संवरकर व्रत खोलने के बाद अन्‍न जल ग्रहण करती हैं। देश के कृषि प्रधान हिस्‍से जैसे राजस्‍थान, पंजाब, पश्चिमी उत्‍तर प्रदेश में यह त्‍योहार विशेष धूमधाम के साथ मनाया जाता है।
विवाहित महिलाएं और विवाह योग्‍य कुंवारी लड़कियां और अपने पति और मंगेतर के लिए व्रत रखती हैं। इस बार करवा चौथ 27 अक्‍टूबर को है। आइए जानते हैं इसका महत्‍व और कैसे हुई इसकी शुरुआत…
महाभारत काल से है संबंध 
करवा चौथ की सबसे पहले शुरुआत प्राचीन काल में सावित्री की पतिव्रता धर्म से हुई। सावित्री ने अपने पति मृत्‍यु हो जाने पर भी यमराज को उन्‍हें अपने साथ नहीं ले जाने दिया और अपनी दृढ़ प्रतिज्ञा से पति को फिर से प्राप्‍त किया। दूसरी कहानी पांडवों की पत्‍नी द्रौपदी की है। वनवास काल में अर्जुन तपस्‍या करने नीलगिरि के पर्वत पर चले गए थे। द्रौपदी ने अुर्जन की जान बचाने के लिए अपने भाई भगवान कृष्‍ण से मदद मांगी। उन्‍होंने पति की रक्षा के लिए द्रौपदी से वैसा ही उपवास रखने को कहा जैसा माता पार्वती ने भगवान शिव की रक्षा के लिए रखा था। द्रौपदी ने ऐसा ही किया और कुछ ही समय के पश्‍चात अर्जुन वापस सुरक्षित लौट आए।
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